बीजेपी की नैया डुबोने को आतुर सन ऑफ़ मल्लाह ! : क्या नीतीश के पहले तेजस्वी की नाव पर चढ़ना चाहते हैं मुकेश सहनी

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DESK : राजनीति भी अजीब चीज है, नेता कब रंग बदल ले और राजनीति का दुश्मन कब भाई हो जाये यह कहना मुश्किल है. बिहार की राजनीति में इस कड़ाके की ठंढ में ऐसा ही कुछ दिख रहा है. बिहार में बीजेपी की नैया पर सवार राज्य के पशुपालन मंत्री और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी यू पी में बीजेपी की चुनावी नैया डुबाने को आतुर ही नही बिहार में भी तेजस्वी के साथ जाने को व्याकुल है.

मकर संक्रांति के बाद बिहार में मौसम की दगावाजी से शायद बिहार के नेताओं ने भी सीख ली है और उन्होनें भी खरमास बीतते ही गिरगिट की तरह रंग बदलना शुरू कर दिया है. औरंगजेब और सम्राट अशोक के बहाने जद यू और बीजेपी के बीच जारी रार अभी थमा ही नही था कि एकाएक मुकेश सहनी पूरी तरह से रंग में आ गये और बीजेपी की ऐसी की तैसी कर दी.

बिहार के राजनीतिक जानकारो के मुताबिक मुकेश सहनी के रंग बदलने का कारण यू पी में भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मुकेश सहनी को रंग बदलने में मदद नही करना है . दरअसल मुकेश सहनी का दावा है कि उत्तर प्रदेश में योगी के द्वारा निषाद जाति को पूरी तरह से उपेक्षित छोड़ दिया गया है. इसलिये निषादो को आरक्षण देने की मांग के बहाने वे यूपी में अपना राजनीतिक जमीन तलाशने की फिराक में थे और आरक्षण के दबाब के बहाने बीजेपी से चुनावी गठबंधन चाहते थे लेकिन योगी ने कोई भाव ही नही दिया.

फिर सहनी ने अपनी राजनीतिक हैसियत दिखाने के लिये पहले फूलन देवी की मूर्ति पूरे यू पी में लगवाने फिर 165 विधान सभा सीटो पर उम्मीदवार उतारने का एलान भी कर दिया. श्री सहनी ने इस बावत 25 उ्मीदवारो को सिंबल भी बाटां. लेकिन सहनी यह सब पटना में बैठकर कर रहे हैं. यानि वी आई पी पार्टी का मुख्य चुनाव कार्यालय लखनऊ में ना होकर मुकेश सहनी का सरकारी आवास है. यहीं से वे पत्रकारो के माध्यम से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कम और बीजेपी के खिलाफ जमकर दहाड़ते भी है.

लेकिन मुकेश सहनी की इस रणनीति का दूसरा पहलू भी पर्दे के पीछे है जो बिहार की राजनीति की बदलती तस्वीर का पहला ट्रेलर है. असल में जातीय जनगणना और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग के बहाने नीतीश कुमार के जद यू का बीजेपी से जितनी दूरी बढ़ी है उतनी ही राजद के साथ नजदीक हुई. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिह का खुला आफर और राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का उपेन्द्र कुशवाहा के साथ गुफ्त गू इसके प्रारंभिक संकेत के लिये पुख्ता सबूत भी . बिहार के राजनीतिक हलको में राजद और जद यू के नेताओं द्वारा इस बात को जोर से हवा दी जा रही है कि दोनो दल करीब आ रहें .

यही वजह है कि रात दिन ट्वीटर पर नीतीश पर निशाना साधने वाले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की ट्वीटर चीड़िंया ची ची के बदले मौन है तो तेजस्वी ने चुप्पी साध ऱखी है. जद यू और राजद के इस मेल ने मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी की नींद उड़ा दी है. शायद यही वजह है कि बोचहा विधान सभा उप चुनाव और यू पी चुनाव के बहाने मुकेश सहनी जहां उस बीजेपी को पानी पी पी कर गाली दे रहे जिसने तेजस्वी की सभा से अपमानित मुकेश सहनी को विधान सभा चुनाव में 11 सीटे ही नही दी चुनाव हारने पर एम एल सी बी बनाया और मंत्री भी. लेकिन इस अपमान को भूलकर मुकेश सहनी फिर से तेजस्वी की नाव पर नीतीश से पहले सवार हो जाना चाहते है ताकि जद यू राजद के मिलन के बाद उन्हें इंट्री के लिये इंतजार ना करना पड़े.

फिलहाल बीजपी ने जहां अपनी दूसरी पंक्ति के नेताओं को ही सहनी को माकूल जबाब देने के लिये लगा रखा है जबकि राजद ने अपने प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी को उनकी पीठ सहलाने के लिये . देखना दिलचस्प होगा कि सहनी बीजेपी की नैया डुबोते है या खुद अपनी.

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज.


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