बिहार MLC चुनाव परिणाम : 13 सीटें जीतने के बाद भी NDA गमगीन, 6 सीटें हासिल करके RJD मायूस

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पटना : बिहार विधान परिषद की 24 सीटों का चुनाव परिणाम आ गया है. बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे के 24 सीटों के लिये हुए द्विवार्षिक चुनाव में एनडीए ने सबसे ज्यादा 13 सीटें जीती है. जबकि राजद के खाते में 6 सीटें गयी हैं. 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारो ने बाजी मारी है.

हालांकि इस चुनाव में भी एनडीए गठबंधन में शामिल तीन दलों में भाजपा ने 7 जद यू ने 5 और राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी पारस गुट ने एक सीटपर विजय दर्ज की है. लेकिन इस चुनाव परिणाम से भी एन डी के नेताओं के चेहरे पर खुशी नही है. इसकी कई वजह भी है.2015 के चुनाव में बीजेपी ने 24 में से 12 सीटें जीती थी इस बार उसे पांच सीटो का नुकसान हुआ है. यानि सबसे ज्यादा सीट जीतने के बावजूद बीजेपी के नेता के चेहरे से खुशी गायब है.इसके अलावा बीजेपी के बड़े दिग्गज नेताओं के इलाके में फजीहत हुई अलग से .

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल , उप मुख्यमंत्री रेणु देवी और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधामोहन सिंह के गृह जिले पश्चिम चंपारण में एन डी ए उ्मीदवार की भारी फजीहत हुई तो पूर्वी चंपारण में भी बीजेपी उम्मीदवार तीन नंबर पर रहे और निर्दलीय ने बाजी मारी .यही हाल स्वास्थ्य मंत्री मंगलपांडे के गृह जिले सीवान और सारण में रहा जहां बीजेपी के उ म्मीदवार तीन नंबर पर रहे.जबकि कोशी इलाके में बाहुवलि रहे वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार बब्लू की पत्नी नूतन सिंह को भी हार का मुंह देखना पड़ा. अब भला बीजेपी के नेता जश्न मनायें तो कैसे.

कमोवेश यही हाल जद यू का भी है.हालांकि पिछले चुनाव 2015 में जद यू ने पाच सीटे ही जीती थी लेकिन चार विधान पार्षदो को अपनी पार्टी में शामिल भी कराया था . यानि 9 सीटींग सीटों में जद यू को 5 पर ही कामयाबी मिली. यानि चार सीटों का अदद नुकसान हुआ अलग से उस पर भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का ससंदीय क्षेत्र मुंगेर और पटना जहां पूरी पार्टी ही मौजूद वहां इन दोनों सीटों पर हुई हार से जद यू नेता सदमें तो थे ही फिर जीत में तीसरे स्थान पर पहुंच जाने पर आखिर जद यू नेता जश्न मनायें कैसे.

जद यू और बीजेपी के इस हाल को देखकर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी पारस की पार्टी जो पहलीबार चुनाव मैदान में उतरकर बाजी भी मारी लेकिन जश्न मनाने से परहेज कर रही है.

ये तो हुई सत्ताधारी दलों की बात . लेकिन विपक्ष का भी हाल इससे इतर नही है.

2015 के चुनाव में राजद ने 4 सीटें जीती थी . लेकिन उसके दो सहयोगियो का साथ छोड़ देने के बावजूद इस बार उसने 6 सीटो पर कामयाबी हासिल की है. यानि राजद ने 6क्का मारा है. लेकिन इस चुनाव में 15 सीटों पर जीत और फिर सूबे में सरकार बनाने का दावा करने वाले तेजस्वी और उनके बड़े भाई तेजप्रताप के इलाके में राजद के तेजतर्रार और वफादार उम्मीदवार सुबोध राय की हार का गम राजद नेताओं को खुश होने से रोक रहा है.

और अंत में कांग्रेस की तो बात ही जुदा है. इस चुनाव में भी राजद के साथ चुनावी नैया पार लगाने का मंसूबा पाल रखे कांग्रेस के नेताओं को पहला झटका तो राजद ने गठबंधन नही करने को लेकर दिया तो दूसरी ओर एक मात्र सीट बैगूसराय से जीते कांग्रेस उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह पूर्व मंत्री आर एन सिंह के बेटे और परबत्ता से जद यू विधायक संजीव कुमार सिंह के भाई है. ऐसें में कांग्रेसी राजीव की जीत पर इठलायें तो कैसे.

शायद यही वजह है कि इस चुनाव परिणाम के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच बयानबाजी नही हो रही और दोनो धड़ा थोड़ा खुशी थोड़ा गम के बीच तमाशा देख रहा हैं.

अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज .


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