करप्शन के कितने कुलपति? : मगध विश्वविद्यालय के कुलपति पर 30 करोड़ से ज्यादा के घोटाले का आरोप

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एक शक्तिशाली राजतंत्रों में से एक मगध साम्राज्य के नाम पर बने मगध विश्वविद्यालय आज भ्रष्टाचार की वजह से सुर्खियों में है। शिक्षा के जिस मंदिर से शिक्षा और ज्ञान का अलख जगाना था, वो मंदिर भ्रष्टाचार के कारण कलंकित हुआ है। मगध यूनिवर्सिटी के जिस कुलपति पर यूनिवर्सिटी की गरिमा को बनाए रखने की जिम्मेदारी थी, वो भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन बैठे थे और 30 करोड़ के वारे न्यारे कर दिए। मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के कई ठिकानों पर स्पेशल विजिलेंस की टीम ने छापेमारी की। गया जिले के बोधगया के दो और यूपी के गोरखपुर में एक ठिकाने पर छापेमारी की गई है। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति पर 16 नवंबर को मामला दर्ज किया गया था। IPC की धारा 420 के सेक्शन 12, 13 और 13 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। हाल के दिनों में विशेष निगरानी विभाग की किसी भी बड़े शिक्षाविद पर यह सबसे बड़ी कार्रवाई है।

75 लाख से ज्यादा कैश और विदेशी करेंसी बरामद

निगरानी ने मगध विश्वद्यालय के परीक्षा विभाग, कुलपति कार्यालय में भी छापेमारी की है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से शिकायत दर्ज की गई थी। जिसमें मगध विश्वविद्यालय के कुलपति सहित उनके कई सहयोगियों के ठिकाने पर छापेमारी की गई। छापेमारी में 70 लाख रुपए बरामद किए गए हैं। साथ ही 15 लाख का आभूषण बरामद हुआ है...वहीं 5 लाख का विदेशी करेंसी भी बरामद किया गया है साथ ही कई महत्वपूर्ण कागजात भी बरामद किए गए। वहीं गोरखपुर में छापेमारी के दौरान अभी तक एक करोड़ की अचल संपत्ति और 5 लाख नगद बरामद हुए हैं।

ऐसे चलता था मगध विश्वविद्यालय में करप्शन का खेल

आरोपों के मुताबिक मगध विश्वविद्यालय के कुलपति उत्तर पुस्तिका और गार्ड के नियुक्ति जैसे कार्यों में करप्शन करते थे। मनमाने ढंग से निविदा प्रक्रिया के खिलाफ अपने चहेते आपूर्तिकर्ता से खरीद बिक्री की। 30 करोड़ रुपए से ज्यादा का घपला किया गया है। तलाशी के दौरान यह भी पता चला है कि विश्वविद्यालय में47गार्ड नियुक्त है जबकि89गार्ड का भुगतान किया जाता रहा है।

प्रो राजेंद्र प्रसाद का चहेता है सुबोध यादव

कुलपति राजेंद्र प्रसाद ना सिर्फ भ्रष्टाचार की गंगा में नहाते थे, बल्कि अपने चहेतों को भी नहाने का मौका देते थे। इस तस्वीर को देखिए।

कोट पहने प्रो. राजेंद्र प्रसाद और साथ में उनके चहेते सुबोध यादव

इस तस्वीर में कोट पहना शख्स कुलपति राजेंद्र प्रसाद है और साथ में पीली शर्ट पहना शख्स कुलपति का बेहद खास सुबोध यादव है। अनुकंपा पर बहाल होने वाला सुबोध यादव कुलपति राजेंद्र प्रसाद की मेहरबानी से रातों रात करोड़पति बन गया। जिसका अंदाजा सुबोध यादव की लग्जरी गाड़ी के साथ खींची गई इस तस्वीर से लगा सकते हैं।

लग्जरी गाड़ी के साथ सुबोध यादव

वहीं सुबोध का आलीशान मकान भी भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रहा है। बहरहाल कुलपति राजेंद्र प्रसाद के करप्शन का पर्दाफाश हो गया है। मुमकिन है अभी और खुलासे हों।

मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद

कौन हैं प्रो. राजेंद्र प्रसाद

प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद यादव गोरखपुर के रहने वाले हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि के कुलपति रह चुके हैं। इलाहाबाद स्टेट विवि प्रयागराज के कुलपति रह चुके हैं। 2019 में उन्हें मगध यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था। राज्य विवि में उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में चार बार चीफ प्रॉक्टर रहे हैं। वे डीन, रजिस्ट्रार एवं वित्त अधिकारी भी रह चुके हैं। कई सारे शैक्षिक एवं अकादमिक पदों पर कार्य कर चुके हैं। वे रक्षा अध्ययन विषय के आचार्य हैं

पहले भी कुलपति पर लगे हैं घपले का आरोप

प्रो राजेंद्र प्रसाद से पहले भी कुलपतियों पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगते रहे हैं। प्रो राजेंद्र प्रसाद से पहले प्रो देवी प्रसाद पर गाज गिरी थी। वीर कुंवर सिंह विवि के कुलपति रहते प्रो. देवी प्रसाद पर गाज गिरी थी। राजभवन के आदेश पर जून 2021 को उन्हें छुट्टी पर भेजा गया।

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. देवी प्रसाद

प्रो. देवी प्रसाद पर प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हैं। लखनऊ विश्विद्यालय में रहते हुए वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे थे। आउटसोर्सिंग में बहाली और वेतन भुगतान में गड़बड़ी के आरोप लगे। प्रो. देवी प्रसाद पर पुस्तक घोटाले के भी आरोप लगे थे। लखनऊ विश्वविद्यालय में जांच का सामना कर रहे थे, इसी दौरान वीर कुंवर सिंह विवि में कुलपति पद पर नियुक्ति हुई। मार्च 2021 में विधानपरिषद में मामला उठाया गया था। जिसके बाद राजभवन की ओऱ से जांच कमिटी बनी। आरोप हैं जांच कमिटी की जांच में भी सहयोग नहीं दिया।

सवाल है कि आखिर कुलपति जैसे प्रतिष्ठित पद पर बैठकर कोई कैसे भ्रष्टाचार का खेल खेलते रहते हैं और किसी को खबर तक नहीं होती है। ज़ाहिर है विश्वविद्यालय में छात्रों के भविष्य पर भ्रष्टाचार का ग्रहण लगता जा रहा है।



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