स्थानीयता विधेयक मामला : राज्यपाल रमेश बैस द्वारा 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक सरकार को लौटाने पर झारखंड की राजनीति में फिर से गर्माहट
रांची : राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है. स्थानीयता विधेयक लौटने के बाद झारखंड की राजनीति में एक बार फिर से गर्माहट देखने को मिल रही है.
इस संबंध में जेएमएम सांसद महुआ माजी का कहना है कि राज्यपाल के पास संवैधानिक रूप से शक्तियां हैं. इसके तहत उन्होंने यह फैसला लिया है. हमारी राज्य सरकार चाहती है कि लोगों के साथ न्याय हो. बहुत सालों से स्थानीय नीति की 8 लड़ाई चल रही है. उसके अनुरूप काम हो इसे कैसे लागू किया जाए इस पर पुनर्विचार कर मिल बैठकर इसमें बात करनी होगी.
सदियों से लोग उपेक्षित हैं. उनको मुख्यधारा में जोड़ने के लिए जरूरी है स्थानीय नीतिका लाभ उनको मिलना चाहिए. दूसरे राज्यों में भी लोगों को इसका फायदा मिलता है तो हमारे राज्य में क्यों नहीं. मुख्यमंत्री चाहते हैं जल्द से जल्द स्थानीय नीति लागू हो ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके. जो पिछड़ा है उनको बराबरी में लाया जाय. मुख्यमंत्री की यही सोच है.
वहीं इस मामले पर विपक्ष में शामिल भाजपा विधायक सीपी सिंह का कहना है कि यह मामला मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच का मामला है. राज्यपाल कोई भी काम नियम कानून के तहत ही करते हैं . आंख मूंदकर वे हस्ताक्षर नहीं करते हैं. ऐसी स्थिति में उसमें कोई ना कोई त्रुटि रही होगी. मुख्यमंत्री और उनके सरकार से कहा कि झारखंड के लोगों को नियोजित नहीं करना चाहते हैं. यही कारण है कि अभी तक नियोजन नीति लागू नहीं हुई है. सरकार राज्य केनौजवानों को गुमराह ना करें सभी को नियोजन मिले. इसमें ईमानदारी पूर्वक काम करें .
वहीं इस मामले पर रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि कहीं ना कहीं गड़बड़ी रही होगी . कुछ तो होगा तभी राज्यपाल ने इसका अध्ययन कर उसे वापस किया है. पुनः इस पर विचार करना होगा. सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाएं. लोगों के साथ बात कर झारखंड के लोगों को कैसे इसका मिले इस पर विचार करना चाहिए. मैंने कहा बाबूलाल जी ने भी 1932 का खतियान लेकर आये थे. जिसे खारिज किया गया था. रघुवर दास ने भी सबका समन्वय बनाकर 1985 लेकर आए थे ताकि सबको समाहित किया जा सके. स्थानीय नीति के साथ नियोजन नीति को भी शामिल किया जाता तो शायद ऐसा नहीं होता.
गौरतलब है कि राज्यपाल ने 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है. राज्यपाल ने कहा है कि विशेष प्रावधान के तहत नियोजन में शर्तें लगाने की शक्तियां संसद के पास है. राज्य विधानमंडल के पास नहीं है. राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए संबंधित विधेयक की वैधानिकता पर प्रश्न उठाते हुए पुनर्समीक्षा के लिए वापस किया है. बता दें कि 11 नंवबर को यह विधेयक सदन से पारित हुआ था. राज्य पाल की ओर से कहा गया है कि विधेयक की समीक्षा में स्पष्ट हुआ है कि संविधान की धारा 16 में सभी नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है.