आखिर क्यो कुर्सी छोड़ना चाहते है मदन मोहन झा : किसे मिलेगी बिहार की कमान, सामने है जावेद, रंजीता और अजीत का नाम
पटना : बुधबार को बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमां खान के एक बयान ने बिहार की सियासत में एक बार फिर से भूचाल ला दिया है. रमजान के पाक महीने में रोजेदार आजम खान के एक बयान ने सबकों चौंका दिया कि ईद के बाद बिहार में कांग्रेस समेत अनेक दलो में भारी टूट होगी और पाला बदल का बड़ा खेल होगा. अमूमन इस तरह का दावा सूबे में सत्ताधारी दल के नेता और मंत्रियो द्वारा नही किया जाता रहा है हां विरोधी दल के नेता खासकर राजद नेता लगातार इस तरह के दावे करते रहे है कि बिहार मे नीतीश कुमार की कुर्सी अब जाने वाली है. जमा खान का यह बेसुरा राग विरोधी दलों के भी समझ से परे दिख रहा है.
लेकिन जमां खान के बयान के कुछ देर के बाद ही खबर आयी कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा दिल्ली तलब किये गये है और उन्होनें प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. गुरूवार को उनकी मुलाकात राहुल गांधी से भी हुई और श्री झा ने स्वीकार भी किया कि उन्होनें अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है और बहुत पहले हमने इस्तीफा सौंप दिया है लेकिन अभी तक कांग्रेस आलाकमान के द्वारा इसे स्वीकार नही किया गया है.
मदन मोहन झा के इस्तीफे के बाद नये कांग्रेस अध्यक्ष के नामो की चर्चा भी हवा में तैरने लगा है जिसमें किशन गंज से कांग्रेस सांसद मो0 जावेद के अलावे कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा , और पूर्व सांसद रंजीता रंजन का भी है.इसके पहले एक दलित विधायक के नाम की चर्चा भी जोरों पर थी जो अब सीन से गायब दिख रहे हैं.
आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर 17 अप्रैल से बिहार के चंपारण से शुरू होने वाली कांग्रेस की यात्रा को स्थगित कर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का बुलावा दिल्ली होने से कांग्रेस के कार्यकर्ता भी हैरत में है. बिहार की राजनीति में अंतिम सांस ले रही कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रो की माने तो बिहार के दो विधान सभा क्षेत्रों में हुए उप चुनाव और यू पी विधान सभा चुनाव के परिणाम के बाद अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे कांग्रेस के अधिकांश विधायक अपना पाला बदलना चाह रहें है जिसमें अधिकांश सवर्ण है. वैसी स्थिति में मदन मोहन झा नही चाहते कि प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उनके उपर दल को रसातल में पहुंचाने का ठीकरा फूटे.
हालांकि मदन मोहन झा के इस संकेत को भापने के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने अभी ना तो उनका इस्तीफा ही मंजूर किया है और ना ही नये प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस के अनेक वफादार नेता और कार्यकर्ता इस बात से सहमें दिख रहे है कि भले ही देर जो हो लेकिन उनकी पार्टी की नैया अब डूबने ही वाली है.
अशोक मिश्रा , कशिश न्यूज.