रंजीत डॉन के जिंदगी से मिलती जुलती कहानी है वाय चीट इंडिया, लेकिन फिल्म में नहीं है उनका जिक्र

Edited By:  |
1273 1273

पटनाःबिहार में शायद ही कोई ऐसा होगा जो रंजीत डॉन के नाम से वाकिफ नहीं होगा। यह एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर लोगों के जहन में मिले जुले ख्याल आते हैं। कोई उन्हें अपराधी मानते हैं लेकिन कितने ही ऐसे भी है जो उनके पक्षधर भी हैं। हम आज उनकी चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बॉलीवुड में एक फिल्म वाय चीट इंडिया रिलीज हुई है। जिसकी कहानी रंजीत डॉन की असल जिंदगी से काफी मिलती जुलती है। फिल्म में अभिनेता इमराम हाशमी जो फिल्म में एक शिक्षा माफिया के किरदार निभा रहे हैं। फिल्म में उनका यह किरदार हमें कहीं न कहीं बिहार के शिक्षा माफिया रंजीत डॉन की याद दिलाता है।

क्या है फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि एक छात्र इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में 287 रैंक लाता है लेकिन वह एडमिशन लेने से पहले एक दलाल के जाल में फंस जाता है। दरअसल दलाल उसे यह लालच देता है कि इस काम में उसे नौकरी से अधिक पैसे मिलेगें। जिसके बाद छात्र दलाल के कहने पर दूसरे अभ्यार्थियों के नाम पर परीक्षाएं देने लगता है। छात्र खुद तो कुछ नहीं बनता है लेकिन कईयों को इंजीनियर बना देता है। जिसके बदले में उसे मोटे पैसे मिलते थे। फिर दलाल इसी तरह कई छात्रों को अपने चपेट में ले लेता है और एक गिरोह बना लेता है। जिसके बाद उसका धंधा परवान चढ़ता है और वह कई परीक्षाओं में फर्जीवाड़ी करना शुरू कर देता है। लेकिन एक दिन उस छात्र का पर्दाफाश हो जाता है। जिसके बाद उसके पूरे गैंग का भंडाफोड़ हो जाता है। यह मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है और कोर्ट मामले की जांच सीबीआई के सौंप देती है।

क्या वाकई रंजीत डॉन के जिंदगी पर आधारित है फिल्म

फिल्म की कहानी को रंजीत डॉन के जिंदगी पर आधारित माना जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फिल्म में कहानियों के माध्यम से एक ऐसे कैरेक्टर को सामने रखा गया है जिसकी कहानी रंजीत डॉन उर्फ रंजीत कुमार सिंह पर लगे आरोपो और उनके खिलाफ चल रहे मामलों में मिलता है। दरअसल रंजीत कुमार सिंह को 26 नवंबर 2003 को सीबीआई द्वारा कथित रूप से कैट की परीक्षा के पेपरलीक करते हुए दिल्ली में गिरफ़्तार किया गया था। साथ ही उन्हें 2003 में हुए सीबीएसई मेडिकल की परीक्षा के पेपरलीक के मामले में भी मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। जिसके बाद रंजीत समेत 18 अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। जिसके लिए अधिकतम 10 वर्ष की सजा होती है। खैर अब इस मामले को करीब 16 साल हो चुका है और रंजीत को 2009 में कोर्ट से जमानत मिल गई है जिसके बाद से वह जेल से बाहर हैं।

क्या है रंजीत का रिऐक्शन

इस फिल्म के बारे में जब रंजीत से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। मेरी इस संबंध में किसी से बातचीत भी नहीं हुई है और ना ही किसी इस संबंध में मुझसे संपर्क किया है। मैं फिल्म देखने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचूगा। अगर मुझे लगा कि फिल्म में मुझसे मिलते जुलते कैरेक्टर को रखा गया है और उसे गलत दिखाया गया है तो मैं फिल्म बनाने वालों पर केस करूंगा। आपको बता दें कि साल 2012 में ये खबर आई थी कि निर्देशक राकेश रंजन कुमार और महेश भट्ट की प्रोडक्शन टीम रंजीत डॉन की जीवन पर आधारित एक फिल्म 'मार्कशीट' बना रहे हैं। लेकिन इसी बीच इमरान हाशमी प्रोडक्सन ने वाय चीट इंडिया बनाकर विवाद पैदा कर दिया है।


Copy